हर साल बडे जश्न के साथ मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी का त्यौहार फिर से दस्तक देने को है। भव्य पंडालों और रंग बिरंगी मुर्तियों के साथ इस महोत्सव का वातावरण ही कुछ और होता है। आज हम इस Article मे Ganesh Chaturthi का इतिहास और कब और कैसे मनाया जाता है वो जानेंगे।
Ganesh Chaturthi का इतिहास और कब मनाया जाता है?
गणेश चतुर्थी हिंदूओं का दस दिन तक चलने वाला त्यौहार होता है जिसमें वो अपने देवता गणेश के जन्म तौर पर मनाते हैं । गणेश शंकर और पार्वती के बेटे हैं। जिन्हें 108 नामों से जाना जाता है। सभी देवताओं में सबसे पहले गणेश की ही पूजा की जाती है।
गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 2020 से 2023
गणेश चतुर्थी का इतिहास (History of Ganesh Chaturthi)
गणेश चतुर्थी एक हिंदू त्यौहार है। जो सैकड़ों वर्षो से चला आ रहा है। वास्तव में पहली बार गणेश चतुर्थी कब मनाईं गई इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
इतिहास के अनुसार सबसे पहला गणेश उत्सव सातवाहन, राष्ट्रकूट और चालुक्य वंश द्वारा मनाया गया। ये, वे वंश थे जो कभी मध्य, उत्तर और दक्षिण भारत में शासन करते थे। लेकिन 18 वीं शताब्दी के आते आते जब भारत में ब्रिटिश शासन ने राज करना शुरू किया। तब दबाव के चलते हिंदू त्यौहारों पर ब्रिटिश गवर्नर ने बैन लगा दिया। तब भारतीय सेनानी और राष्ट्रवादी नेताओं ने एकजुट होकर ब्रिटिश के नियमों का विरोध करना शुरू किया। और इन राष्ट्रवादी और समाजवादी नेताओं मैं एक "बाल गंगाधर तिलक" थे। जिन्होंने ब्रिटिश राज में गणेश उत्सव को वापस लाया।
1893 में धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम के रूप में व्यवस्थित किया गया और फिर उसे उसी जोश के साथ फिर से मनाना शुरू किया गया। इससे पहले इतिहास के अनुसार गणेश चतुर्थी महोत्सव महाराष्ट्र में महान मराठा शासक "छत्रपति शिवाजी" महाराज द्वारा संस्कृति और राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था।
गणेश चतुर्थी कब मनाया जाता है?
पुराणों और हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान श्रीगणेश का जन्म हुआ था। इसके उपलक्ष्य में इस त्योहार को बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। ज्यादातर महाराष्ट्र और उसके आस-पास के क्षेत्रों में गणेश चतुर्थी के बाद 10 दिन तक गणेशोत्सव मनाया जाता है। इस दौरान श्रद्धालु अपने घर में भगवान श्री गणेश की प्रतिमा स्थापित करते हैं और पूरे दस दिन गणेश भगवान की पूजा करते हैं। गणेशोत्सव के आखिरी दिन यानि अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति जी का विसर्जन किया जाता है।
गणेश चतुर्थी क्यूँ मनाया जाता है?
ये सवाल शायद आपके मन में जरुर उठ रहा होगा की गणेश चतुर्थी को क्यूँ मनाया जाता है? आइए ,इस सवाल का जवाब जानते हैं। भारत के लोगों का मानना है कि भगवान गणेश जी बहुत खुशी और समृद्धि लाते हैं और उनकी सभी बाधाओं को दूर करते हैं. तो गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए लोग उनके जन्म दिवस को गणेश चतुर्थी के रूप में मानते है।
Ganesh chaturthi पौराणिक कथा:-
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार गणेश के जन्म से जुड़ी कई कहानियां हैं। तो आइए जाने ऐसी ही कहानी के बारे में।
कथा के अनुसार माना जाता है कि एक बार भगवान शिव कहीं गए हुए थे। देवी पार्वती उसी वक्त स्नान करने जा रहीं थीं, तो उन्होंने स्नानगृह की रक्षा के लिए अपने शरीर पर लगे हुए चंदन लेप से एक मूर्ति बनाई और फिर उसमें प्राण डाल दिए। उस बालक को पार्वती ने आदेश दे दिया कि कोई भी आए तो उसे अंदर न आने दे।
इसके बाद देवी स्नान करने चलीं गईं। तभी भगवान शिव वहां आ गए, जैसे वो अंदर जाने लगे तो गणेश ने उन्हें द्वार पर रोक दिया।
भगवान शिव ने गणेश से अंदर जाने की बात कही, लेकिन गणेश ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। जिसके बाद शिव और गणेश में संग्राम छिड़ गया। गणेश स्वयं भी शक्ति के अंश थे, वो भगवान शंकर के हर प्रहार को निष्फल करते गए जिसके बाद शिव ने क्रोध में आकर अपने त्रिशूल से गणेश की गर्दन को धड़ से अलग कर दिया।
देवी पार्वती ने जैसे ही गणेश को उस अवस्था में देखा उनका क्रोध भड़क गया। इसके बाद सभी देवता घबरा गए। तब भगवान शिव ने गणेश को फिर से जीवित करने की बात कही। इसके बाद गणपति के मृत धड़ पर हाथी का सिर लगाकर उन्हें पुन: जीवित किया गया, इस तरह गजानन का जन्म हुआ। उस दिन भादो मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी थी। तो फिर उसी दिन से गणेश चतुर्थी का पर्व गणेश जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी 10 दिनों तक ही क्यों मनाते हैं?
धार्मिक ग्रंथो के अनुशार जब वेदव्यास जी ने महाभारत की कथा भगवन गणेश जी को दस दिनों तक सुनाई थी। तब उन्होंने अपने नेत्र बंद कर लिए थे और जब दस दिन बाद आँखे खोली तो पाया की भगवान् गणेश जी का तापमान बहुत अधिक हो गया था।
फिर उसी समय वेदव्यास जी निकट स्थित कुंड में स्नान करवाया था, जिससे उनके शरीर का तापमान कम हुआ इसलिए गणपति स्थापना के अगले दस दिन तक गणेश जी की पूजा की जाती है और फिर ग्यारहवे भगवान् गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है।
गणेश विसर्जन इस बात का भी प्रतीक है की यह शरीर मिटटी का बना है और अंत में मिटटी में ही मिल जाना है।
गणेश चतुर्थी पर बनने वाला भोजन ?
इस त्योहार पर मोदक काफी लोकप्रिय है. कहा जाता है कि यह मिठाई भगवान गणेश की पसंदीदा है. इस स्टीम मिठाई को खोए और नट्स की स्टफिंग भरकर बनाया जाता है. हालांकि, आजकल मोदक की स्टफिंग के साथ काफी एक्सपेरिमेंट किए जाने लगे हैं. चॉकलेट, नट्स से लेकर नारियल तक के विकल्प हैं. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना मोदक में, लड्डू, वन्डरल्लू पानकम (गुड़-, काली मिर्च- और इलायची के स्वाद वाला पेय), वड़ाप्प्पु (भिगोया हुआ मूंग दाल) और चलीविदी(एक पका हुआ चावल का आटा और गुड़ का मिश्रण) भगवान गणेश को नैवेद्य के भाग के रूप में दिया जाता है।
Ganesh Chaturthi Festival मनाने वाले देश?
गणेश चतुर्थी पर्व भारत ही नहीं थाईलैंड, कंबोडिया, इंडोनेशिया, अफगानिस्तान, नेपाल और चीन में भी मनाया जाता है।
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Written By Sakshi Jaiswal
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