सावन का महीना काफी खास होता है। इस दौरान वर्षा ऋतु के कारण पूरी प्रकृति हरी भरी हो जाती है। दुल्हन जिस प्रकार से अपना श्रृंगार करती है। ठीक उसी तरह सावन के महीने में प्रकृति भी हरे-भरे पेड़-पौधों और फूलों से अपना श्रृंगार करती है।
सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। सोमवार का दिन भोलेनाथ को समर्पित होता है। ऐसे में श्रावण मास के दौरान पड़ने वाले सोमवार को शिव भक्त भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए व्रत आदि भी रखते हैं।
शिव पुराण में सावन महीने का खास महत्व बताया गया है। शिव भक्तों के लिए सावन मास अत्यंत महत्वपूर्ण है। सावन का महीना विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित है और इस महीने में पूजा-पाठ के कार्य करना अत्यंत लाभदायक माना जाता है।
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क्यों मनाई जाती है सावन ? (Why is Sawan Celebrate ? )
महादेव शिव शंकर को सभी देवताओं में सबसे सरल माना जाता है और उन्हें मनाने में ज्यादा जतन नहीं करने पड़ते। भगवान सिर्फ सच्ची भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं. यही वजह है कि भक्त उन्हें प्यार से भोले नाथ बुलाते हैं. सावन के महीने में कांवर यात्रा का विशेष महत्व है ।
सोमवार को ही क्यों की जाती पुजा? ( Why is Worshipped Done on Monday ? )
चंद्रमा का दूसरा नाम सोम है. जिसे भगवान शिव ने अपने मस्तक पर स्थान दिया है. यही वजह है कि सोमवार को भोलेबाबा की दिन माना जाता है। हर मनुष्य के मन की चेतनता और चंचलता को पकड़कर भगवान शिव ने अपने वश में कर रखा है. भक्त अपनी भक्ती से भोलेबाबा को प्रसन्न करके उस परमात्मा तक पहुंच सकें इसलिए महादेव की उपासना सोमवार को की जाती है.
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सावन महीने का महत्व- Importance of Sawan Month
यह महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. यही कारण है कि इस समय में भगवान शिव का पूजन विशेष फलदायी होता है. सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. खासतौर से सावन के सोमवार को की गई पूजा, व्रत, उपाय तुंरत फल प्रदान करने वाले कहे गए हैं. भगवान शिव और मां पार्वती की एक साथ पूजा करने से सौभाग्य का वरदान मिलता है. आर्थिक कष्ट दूर हो जाते हैं.
सावन माह से जुडी धार्मिक कहानियां भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन का महीना ? Religious stories related to the month of Sawan and why is the month of Sawan dear to Lord Shiva?
कहा जाता हैं श्रावण, भगवान शिव का अति प्रिय महीना होता हैं. इसके पीछे की मान्यता यह हैं कि दक्ष पुत्री माता सति ने अपने जीवन को त्याग कर कई वर्षों तक श्रापित जीवन जिया. उसके बाद उन्होंने हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया.
पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पुरे श्रावण महीने में कठोरतप किया, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की. अपनी भार्या से पुनः मिलाप के कारण भगवान् शिव को श्रावण का यह महीना अत्यंत प्रिय हैं. यही कारण हैं कि इस महीने कुमारी कन्या अच्छे वर के लिए शिव जी से प्रार्थना करती हैं.
यही मान्यता हैं कि श्रावण के महीने में भगवान शिव ने धरती पर आकार अपने ससुराल में विचरण किया था, जहाँ अभिषेक कर उनका स्वागत हुआ था इसलिए इस माह में अभिषेक का महत्व बताया गया हैं.
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धार्मिक मान्यतानुसार श्रावण मास में ही समुद्र मंथन हुआ था, जिसमे निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने ग्रहण किया, जिस कारण उन्हें नील कंठ का नाम मिला और इस प्रकार उन्होंने श्रृष्टि को इस विष से बचाया, और सभी देवताओं ने उन पर जल डाला था इसी कारण शिव अभिषेक में जल का विशेष स्थान हैं.
वर्षा ऋतू के चौमासा में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और इस वक्त पूरी श्रृष्टि भगवान शिव के आधीन हो जाती हैं. अतः चौमासा में भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु मनुष्य जाति कई प्रकार के धार्मिक कार्य, दान, उपवास करती हैं.
सावन में काँवर यात्रा ( Sawan me Kawad Yatara)
श्रावण में काँवर यात्रा का बहुत अधिक महत्व हैं. इसमें लोग भगवा वस्त्र धारण करके पवित्र नदियों के जल को एक काँवर में बाँधकर पैदल चलकर शिवलिंग पर उस जल को चढ़ाते हैं. काँवर एक बाँस का बना होता हैं जिसमे दोनों तरफ छोटी सी मटकी होती हैं जिसमे जल भरा होता हैं और उस बाँस को फूलों एवं घुन्घुरों से सजाया जाता हैं.
साथ ही “बोल बम” का नारा लिए कई काँवर यात्री श्रृद्धा पूर्वक पद यात्रा कर पवित्र जल को शिवलिंग पर अर्पण करते हैं. श्रावण का पुराणों में बहुत महत्व हैं. कहते हैं रावण ने सबसे पहले काँवर यात्रा की थी एवं भगवान राम ने भी काँवडी के रूप में शिवलिंग पर जल चढ़ाया था. इस तरह से यह कार्य पुरुषों द्वारा भी किया जाता हैं. अतः श्रावण का यह महीना स्त्री एवं पुरुषों दोनों के द्वारा अपने- अपने तरीकों से मनाया जाता हैं.
आप सभी को Indishayari Team के तरफ से हैप्पी Sawan की ढेर सारी शुभकामनाएं और अगर मेरी लिखी गईं लेख पसंद आई है तो कृप्या अपने परिवार या मित्रों को जरूर शेयर करें, धन्यवाद।
Written by Sakshi Jaiswal
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